संविधान
10. सामान्य परिषद्
सामान्य परिषद् का गठन निम्नलिखित सदस्यों से होगा:
- अध्यक्ष
- वित्तीय सलाहकार
- भारत सरकार द्वारा मनोनीत पाँच प्रतिनिधि, जिनमें से एक सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय का, एक संस्कृति विभाग का, एक नेशनल बुक ट्रस्ट का तथा दो अन्य व्यक्ति होंगे;
- भारत के संविधान में परिगणित प्रत्येक राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों से निर्गामी सामान्य परिषद् द्वारा नामित एक-एक प्रतिनिधि जिनका चयन राज्यों/केन्द्रशासित अकादेमियों द्वारा प्रेषित अधिकतम तीन व्यक्तियों के पैनल से होगा। जिन राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में अकादेमियाँ नहीं हैं या जहाँ एक से अधिक राज्य/केन्द्रशासित अकादेमियाँ हैं, वहाँ से चयन राज्य सरकार/केन्द्रशासित प्रशासन के अनुमोदन पर ही होगा; मनोनीत प्रतिनिधि साहित्य के क्षेत्र में सुविख्यात होंगे। अतः यह आवश्यक नहीं है कि वे सरकारी या केन्द्रशासित प्रशासन के अधिकारीगण ही हों;
- भारत के संविधान में परिगणित भाषाओं तथा समय-समय पर अकादेमी द्वारा मान्यता प्रदत्त दूसरी ऐसी भाषाओं के प्रतिनिधित्व हेतु एक-एक व्यक्ति चुना जाएगा। अकादेमी द्वारा संबद्ध मान्यता प्रदत्त साहित्यिक संस्थाओं द्वारा प्रेषित अधिकतम तीन व्यक्तियों के पैनल से निर्गामी सामान्य परिषद् किसी एक व्यक्ति का चुनाव करेगी, जो इस संदर्भ में अंतिम और निर्णायक माना जाएगा;
- ज्यादा से ज्यादा बीस विश्वविद्यालयों, जिनमें स्नातकोत्तर मानविकी विभाग हैं, से एक-एक व्यक्ति प्रतिनिधित्व करेगा। निर्गामी सामान्य परिषद् द्वारा इन बीस नामों का चयन स्नातकोत्तर मानविकी विभाग वाले विश्वविद्यालयों से प्राप्त संस्तुतियों में से किया जाएगा। कोई भी विश्वविद्यालय लगातार दो बार से अधिक प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता;
प्रत्येक बीस व्यक्तियों में से प्रत्येक विभिन्न विश्वविद्यालयों से चुने जाएँगे तथा प्रत्येक प्रतिनिधित्व करनेवाला विश्वविद्यालय अलग राज्य तथा/या केन्द्रशासित प्रदेश से होगा; - साहित्य के क्षेत्र में प्रख्यात व्यक्तियों में से अधिक-से-अधिक आठ व्यक्ति, जिन्हें निर्गामी सामान्य परिषद् उनकी व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर चुनेगी;
- संगीत नाटक अकादेमी, ललित कला अकादेमी और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् का एक-एक प्रतिनिधि, जो उन संस्थाओं द्वारा नामित होगा;
- निर्गामी सामान्य परिषद् द्वारा भारतीय प्रकाशकों में से एक प्रतिनिधि का चयन किया जाएगा। यह चयन भारत के विभिन्न प्रकाशक-संघों की सिफरिशों के आधार पर होगा;
- राजा राममोहन राय फाउंडेशन द्वारा मनोनीत उनका एक प्रतिनिधि;
- कोई भी दो बार से अधिक सामान्य परिषद् का सदस्य नहीं होगा, इस प्रावधान के साथ कि सदस्यता की दोनों अवधि लगातार न हों और यह नियम सभी श्रेणियों के लिए नामित व्यक्तियों पर लागू होगा। पदेन सदस्यों तथा उपरोक्त धारा; (7) में निर्दिष्ट प्रख्यात लेखकों को इससे छूट होगी।
सामान्य परिषद् अपने पहले अधिवेशन की नियत तिथि से पाँच कैलेण्डर वर्षों तक कार्य करती रहेगी और पाँच कैलेण्डर वर्षों की उक्त अवधि की परिसमाप्ति सामान्य परिषद् के विघटन के रूप में मान्य समझी जाएगी।
11. सामान्य परिषद् के कार्य
सामान्य परिषद् के कार्य और अधिकार निम्नलिखित होंगे :
- अनुच्छेद 5 के अनुसार अध्यक्ष का चुनाव करना;
- अपने सदस्यों में से एक को उपाध्यक्ष चुनना;
- अनुच्छेद 13 (v) के अनुसार कार्यकारी मंडल के सदस्य चुनना और उसकी कार्यविधियों को निर्धारित करना;
- अनुच्छेद 15 (iii) के अनुसार वित्त-समिति के सदस्यों का चुनाव करना और उसकी कार्य-प्रणाली के नियमों को निर्धारित करना;
- कार्यकारी मंडल द्वारा तैयार किए गए अकादेमी के वार्षिक बजट की अभिपुष्टि करना;
- अनुच्छेद 10 की धारा (iv), (v), (vi), (vii), और (ix) के अनुसार राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों, भाषाओं, विश्वविद्यालयों, प्रकाशकों तथा आठ विख्यात व्यक्तियों को चुनना;
- कार्यकारी मंडल द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रमों तथा विशेष आयोजनों पर विचार करना और उनकी अभिपुष्टि करना;
- कार्यकारी मंडल के अनुमोदन पर;
- असाधारण प्रतिभा के साहित्यकारों को अकादेमी के महत्तर सदस्य (फ़ेलो) निर्वाचित करना बशर्ते, किसी भी समय उसकी संख्या 21 से अधिक न हो;
- असाधारण प्रतिभा संपन्न भारतीयेतर साहित्यिक व्यक्तियों को मानद महत्तर सदस्य (ऑनरेरी फ़ेलो) के रूप में चुनना, बशर्ते इनकी संख्या किसी भी समय पाँच से अधिक न हो; और
- स्वयं अपने नियम, विधान, उपनियम तथा कार्य-प्रणाली के नियम बनाना।
12. सामान्य परिषद् की बैठक
साधारणतया वर्ष में सामान्य परिषद् की एक बैठक अवश्य होगी, जिसका स्थान और समय अध्यक्ष निश्चित करेगा। अध्यक्ष या कार्यकारी मंडल द्वारा अपनी पहल पर या सामान्य परिषद् के कुल सदस्यों की कम-से-कम दो तिहाई संख्या की माँग पर किसी भी समय विशेष बैठक बुलाई जा सकती है।
13. कार्यकारी मंडल
कार्यकारी मंडल का गठन निम्नलिखित सदस्यों से होगा :
- अध्यक्ष;
- उपाध्यक्ष;
- वित्तीय सलाहकार;
- भारत सरकार द्वारा परिषद् के लिए मनोनीत सदस्यों में से दो सदस्य; और
- भारत के संविधान में परिगणित और अकादेमी द्वारा मान्य भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए परिषद् के सदस्यों में से निर्वाचित एक-एक व्यक्ति।
जिसका उल्लेख पूर्ववर्ती वाक्य में किया गया है, भाषाओं के प्रोत्साहन हेतु अध्यक्ष अपने विवेक द्वारा सामान्य परिषद् के किसी भी सदस्य को कार्यकारी मंडल की किसी भी बैठक में आमंत्रित कर सकते हैं तथा उसको अकादेमी की गतिविधियों में शामिल कर सकते हैं।
14. कार्यकारी मंडल के कार्य
कार्यकारी मंडल के अधिकार और कार्य निम्नलिखित होंगे :
- सामान्य परिषद् के नीति-निर्देशों के अधीन अकादेमी के कार्यकारी अधिकारों का प्रयोग करना;
-
अकादेमी के कार्य और उसके कार्यालय की देखभाल और नियंत्रण का दायित्व होगा;
- सामान्य परिषद् के सम्मुख प्रस्तुत करने के लिए अकादेमी के कार्यक्रमों और विशिष्ट योजनाओं पर विचार करना और उन्हें तैयार करना;
- वित्त समिति द्वारा निर्धारित सीमाओं के अधीन अकादेमी का वार्षिक बजट तैयार करना, ताकि वह अनुमोदन के लिए सामान्य परिषद् के सम्मुख प्रस्तुत किया जाए;
- वित्त समिति की संस्तुति के आधार पर अकादेमी के बजट अनुमानों तथा वार्षिक लेखा पर विचार करना तथा सामान्य परिषद् को अपनी संस्तुतियाँ भेजना;
- महत्तर सदस्यों और मानद महत्तर सदस्यों के चयन के लिए आसाधारण योग्यता संपन्न साहित्यकारों के नामों पर विचार करना और उन्हें सामान्य परिषद् के समक्ष प्रस्तुत करना; और
- ऐसे कर्मचारियों को छोड़कर, जिन्हें नियुक्त करने का अधिकार सचिव को सौंपा गया हो, अकादेमी के सचिव तथा अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति करना।
15. वित्त समिति
वित्त समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे :
- वित्तीय सलाहकार;
- भारत सरकार द्वारा मनोनीत एक व्यक्ति (जिसका सामान्य परिषद् के सदस्यों में से होना आवश्यक नहीं है);
- सामान्य परिषद् का एक प्रतिनिधि (अकादेमी के उपाध्यक्ष के अलावा);
- कार्यकारी मंडल द्वारा नामित एक व्यक्ति, जिसका सामान्य परिषद् का सदस्य होना आवश्यक नहीं है; और
- अकादेमी का उपाध्यक्ष वित्त समिति का पदेन अध्यक्ष होगा।
16. वित्त समिति के कार्य
वित्त समिति अकादेमी के प्राक्कलित बजट पर विचार करेगी, इसके संबंध में कार्यकारी मंडल से संस्तुति करेगी और एक वित्त वर्ष के अंतर्गत किए जानेवाले कुल व्यय की सीमा निर्धारित करेगी।
17. लेखा-परीक्षण
अकादेमी के लेखा की जाँच भारत के महालेखा परीक्षक द्वारा की जाएगी।
18. साधारण उपबंध
- सामान्य परिषद् या अकादेमी की कोई अधिकारी संस्था जो भी नियम बनाएगी या निर्णय करेगी, सामान्य परिषद् उसका संशोधन कर सकती है, या उसे रद्द कर सकती हैं, परन्तु जहाँ अधिकारी संस्था इस प्रस्ताव में निरूपित अधिकारों और कार्यों के अनुसार काम कर रही हो, वहाँ यह नियम लागू नहीं होगा;
- उपस्थित और वोट देनेवाले अपने सदस्यों के कम से कम तीन-चौथाई बहुमत से सामान्य परिषद् इस संविधान में अपनी इच्छा के अनुसार संशोधन कर सकती है, शर्त यह होगी कि अकादेमी के उद्देश्यों में किए गए संशोधन तभी पारित माने जाएँगे, जब भारत सरकार उनकी पुष्टि कर दे;
- सामान्य परिषद् या अकादेमी के अन्य मंडलों के सदस्यों के (पदेन सदस्यों को छोड़कर) सभी तात्कालिक रिक्त स्थानों की पूर्ति सुविधानुसार शीघ्रताशीघ्र उसी व्यक्ति या मंडल द्वारा होगी, जिसने उस रिक्त स्थान पर पहले सदस्य की नियुक्ति या चयन किया था या सहयोग लिया था और तात्कालिक रिक्त स्थान में नियुक्त, निर्वाचित या सहयोग लिया गया ऐसा व्यक्ति विशेष कालावधि के लिए उन सब मंडलों का सदस्य और अधिकारी होगा, जिनका कि वह मूल व्यक्ति अधिकारी या सदस्य रहा हो; और
- सामान्य परिषद् या कार्यकारी मंडल या वित्त समिति का कोई भी कार्य केवल इसलिए अवैधानिक नहीं होगा कि सदस्यों का कोई स्थान रिक्त है या इसकी संघटना में कोई कमी है।
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अद्यतन : 22.11.2024
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